UPSC दर्शनशास्त्र की मुख्य परीक्षा में 8 प्रश्न पूछे जाते है । जिन में से आपको केवल 5 प्रश्न ही हल करने होते है । प्रत्येक प्रश्न 50 नम्बर का होता है ।
इस प्रकार सें 50×5=250 नम्बर का एक exam होता है । इस प्रकार से optional subject के 2 exam होते है , प्रत्येक प्रश्न पत्र 250 अंक का होता है ।
इस प्रकार 250×2= 500 अंक upsc की परीक्षा में optional subject का अंक भार होता है ।
यहाँ ध्यान देने की मुख्य बात यह है कि वैक्लपिक विषय के प्रश्न पत्र में भी दो भाग होते है , और प्रत्येक भाग में सें एक प्रश्न करना अनिवार्य होता है ।
जैसे - प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिर्वाय है , तो इसमे एक प्रश्न में ही 5 भाग होते है , और प्रत्येक भाग 10 अंक का होता है । बाकी बचे 8 प्रश्न आपके choice पर छोड दिए जाते है ।
जो एक भाग से आप 3 प्रश्न और एक भाग से आप 2 प्रश्न हल करते हो,तो जो ये बाकी बचे प्रश्न है , ये अनिवार्य प्रश्न से अलग होते है , और इनमें एक प्रश्न के 3 भाग होते है ।
पहला प्रश्न 20 अंक का , दुसरा प्रश्न 15 अंक का और तीसरा प्रश्न भी 15 अंक का होता है , इस प्रकार से 20+15+15 = 50 अंक हुए ।
आपको 250 अंक की परीक्षा के लिए 5 प्रश्न हल करने होगें जिनमें से 2 प्रश्न अनिवार्य और 3 प्रश्न वैक्लपिक होगें । इसमें भी एक शर्त है कि प्रत्येक भाग से कम से कम एक वैक्लपिक प्रश्न हल करना अनिवार्य है ।
तो दर्शनशास्त्र की मुख्य परीक्षा के एक प्रश्न पत्र में 2 भाग होगें जिन्मे एक भाग के चार प्रश्नो में सें आपको कम से कम 2 प्रश्न तो हल करने ही होगें ।
तो इसके अनुसार एक भाग से आप 3 प्रश्न हल करोगे और एक भाग से आप केवल 2 ही प्रश्न हल करोगे ।
ये था दर्शनशास्त्र की मुख्य परीक्षा का exam pattern . अब हम विस्तार से इसके syllabus पर चर्चा करेंगे ।
अगर हम दर्शनशास्त्र की मुख्य परीक्षा पर नजर डाले तो दर्शनशास्त्र ही UPSC का ऐसा विषय है , जिसका Syllabus सबसे कम है ,पर दर्शन एक बहुत ही गूढ विषय है , इसके लिए अच्छी समझ व तर्क का होना अनिवार्य है, इसके अलावा आपका उत्तर लेखन भी उच्च कोटी का होना चाहिए ।
अगर ऐसा हुआ तो आपकी सफलता निश्चित है ।
( ज्यादा जानकारी के लिए आप philosophy guidance वाली blog post देखें )
सबसे पहले हम पाठ्यक्रम पर नजर डाले तो दर्शनशास्त्र में 2 पेपर होते है ।
एक पेपर में 2 भाग पाये जाते है ।
अब दर्शनशास्त्र - 1 मे
दर्शन का इतिहास एवं समस्यांए (upsc syllabus में )
सहुलियत की दृष्टि से हम इसे 3 भागो मे बांट सकते है ।
( भाग - 1 )
१. पाश्चात्य दर्शन
२. समकालीन पाश्चात्य दर्शन
( भाग - 2)
३. भारतीय दर्शन
पायें जाते हैं ।
और दर्शनशास्त्र - 2 पेपर में
( भाग - 1 )
१. समकालीन राजनैतिक दर्शन
( भाग - 2 )
२. धर्मदर्शन
के विषय पाये जाते है ।
( पुस्तको की जानकारी के लिए Upsc Philosophy Mains Books List In Hindi देंखे )
Upsc की दर्शनशास्त्र की परीक्षा में पाठ्यक्रम निम्नलिखत है -:
पेपर - I: इतिहास और दर्शनशास्त्र की समस्याएं
पाश्चात्य दर्शन ( भाग - 1 )
1. प्लेटो और अरस्तू .- विचार; मादक द्रव्यों के; फार्म और पदार्थ; करणीय; वास्तविकता और क्षमता।
2. तर्क बुद्धिवाद - ( डेकार्ट, स्पिनोजा, लाइब्निज): देकार्त की पद्वति एवं असंधिग्ध ज्ञान , द्रव्य, परमात्मा मन-शारीर द्वैतवाद, नित्यवाद और स्वतंत्रता
3. इंद्रियनुभववाद अनुभववाद - ( लॉक, बर्कले, ह्यूम): ज्ञान का सिद्धांत, द्रव्य एवं गुण, आत्मा एवं परमात्मा , संशयवाद
4. कांट - संश्लेशात्मक प्रागानुभविक निर्णय की संभाव्यता, दिक एवं काल, पर्दाथ, तर्कबुद्धी प्रत्यय, विप्रतिषेध, परमात्मा के अस्तित्व के प्रमाणो की मीमांसा
5. हीगेल - द्वदात्मक प्रणाली, परमप्रत्यवाद
समकालीन पाश्चात्य दर्शन
6. मूर, रसेल और पूर्ववर्ती विस्टेंगस्टीन - सामान्य बुद्धी का मंडन, प्रत्यवाद का खंडन, तार्किक परमाणवाद, तार्किक रचना, अपूर्ण प्रतीक, अर्थ का चित्र सिद्धांत, उक्ति एवं प्रदर्शन
7. तार्किक प्रत्यक्षवाद - अर्थ का सत्यापन सिद्धांत; आध्यात्मिक तत्वों को अस्वीकार करना; आवश्यक प्रस्तावों की भाषाई सिद्धांत।
8. उत्तरवर्ती विस्टेंगस्टीन - अर्थ और उपयोग; भाषा-खेल, व्यक्ति भाषा की मीमांसा
9. संवृतिशास्त्र (हर्सल) - प्रणाली सार सिद्धांत, मनोवैज्ञानिकता से बचें।
10. अस्तित्ववाद ( कीर्केगार्ड, सार्त्र, हीडेगर) - अस्तित्व और सार,विकल्प, जिम्मेदारी और प्रामाणिक अस्तित्व होने-माने और अस्थायीता।
11. क्वाइन एवं स्ट्रासन - इंन्द्रयानुभव की मीमांसा,मूल विशिष्ट एवं व्यक्तियों की सिद्धांत।
भारतीय दर्शन (भाग - 2)
12. चार्वाक - ज्ञान की सिद्धांत, अतीन्द्रीय सत्वों का अस्वीकरण
13. जैन दर्शन - सत्ता का सिद्धांत, सप्तभंगी नय, बंधन और मुक्ति
14. बौद्ध दर्शन - प्रतीत्यसमुत्पद, क्षणिकवाद, नैरात्म्यवाद
15. न्याय - वैशेषिक - पदार्थ सिद्धांत, आभास सिद्धांत, प्रमाण सिद्घांत,आत्मा, मुक्ति,परमेश्वर; भगवान के अस्तित्व के लिए प्रमाण, कार्यकारणभाव का सिद्धांत, सृष्टि का परमाणुवादी सिद्धांत।
16. सांख्या - प्रकृति, पुरुष, कार्य कारणभाव, मुक्ति
17. योग - चित्त, चित्तवृत्ती, क्लेश,समाधि; कैवल्य।
18. मीमांसा: ज्ञान की सिद्धांत
19. वेदान्त सम्प्रदाय - ब्राह्मण, ईश्वर, आत्मन, जीव, जगत,माया, अविद्या, अध्यास, मोक्ष, अपृथक सिद्धि, पंचविधभेद
20. अरबिंदो - विकास, प्रतिविकास, पूर्णयोग
पेपर - II:
सामाजिक-राजनीतिक दर्शन
( भाग -1)
1. सामाजिक और राजनीतिक आदर्श: समानता, न्याय, ल स्वतंत्रता
2. प्रभुसत्ता - ऑस्टिन, बोंदा, लास्की, कौटिल्य।
3. व्यक्तिगत और राज्य: अधिकार; कर्तव्यों और उत्तरदायित्व
4. शासन के प्रकार - राजतंत्र, लोकतंत्र और धर्मतंत्र
5. राजनीतिक विचारधारा: अराजकतावाद, मार्क्सवाद और समाजवाद
6. मानवतावाद; धर्मनिरपेक्षतावाद, बहुसंस्कृतिवाद।
7. अपराध और दंड - भ्रष्टाचार, व्यापक हिंसा, जातिसंहार, प्राणदंड
8. विकास और सामाजिक उन्नती
9. लिंग भेद - स्त्री भ्रूणहत्या, भूमि और संपत्ति अधिकार, सशक्तिकरण
10. जाति भेद - गांधी और अम्बेडकर
धर्म का दर्शन ( भाग - 2 )
1. ईश्वर की धारणा - गुण; मनुष्य और विश्व से संबंध। (भारतीय एवं पाश्चात्य)
2. भगवान के अस्तित्व के प्रमाण और उसकी मीमांसा (भारतीय एवं पाश्चात्य)
3. अशुभ की समस्या।
4. आत्मा - अमरता, पुनर्जन्म और मुक्ति।
5. तर्कबुद्धि, श्रुती एवं आस्था ।
6. धार्मिक अनुभव - प्रकृति और वस्तु (भारतीय एवं पाश्चात्य)।
7. ईश्वर रहित धर्म।
8. धर्म एवं नैतिकता
9. धार्मिक शुचिता एवं पूर्ण सत्यता की समस्या।
10. धार्मिक भाषा की प्रकृति: सादृश्यमूलक एवं प्रतीकात्मक , संज्ञानवादी और निसंजज्ञानवादी।
इस प्रकार से Upsc की मुख्य परीक्षा में दर्शनशास्त्र का पाठ्यक्रम है , फिर भी मै सलाह दूँगा की आप Upsc की official website से syllabus download करें और मिलान अवश्य करें । यहाँ उपलब्ध पाठ्यक्रम आपकी जानकारी और विषय की समझ के लिए उपलब्ध करवाया गया है ।
इस प्रकार से आप Philosophy mains exam pattern and syllabus को अच्छी तरह से समझ गये होंगे ।
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